सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों के सामने आने वाली भीषण कामकाजी परिस्थितियों को "अमानवीय" करार दिया और इस सप्ताह की शुरुआत में गठित 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) से चिकित्सा पेशेवरों के काम के घंटों को सुव्यवस्थित और विनियमित करने का आह्वान किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों के अमानवीय काम के घंटों को लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ डॉक्टर 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं।" उन्होंने कहा, "नियुक्त समिति को सभी डॉक्टरों के ऑन-ड्यूटी घंटों को सुव्यवस्थित करने पर विचार करना चाहिए। 36 या 48 घंटे की शिफ्ट बिल्कुल अमानवीय है!"
मुख्य न्यायाधीश ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक स्नातकोत्तर चिकित्सक के बलात्कार और हत्या से संबंधित एक स्वप्रेरणा मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कोलकाता पुलिस द्वारा जांच में देरी और स्पष्ट अनियमितताओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने पाया कि यह "बेहद परेशान करने वाला" है कि पुलिस ने मामले को अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज करने में देरी की।
"एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है, मौत की जीडी प्रविष्टि सुबह 10:10 बजे दर्ज की गई... अपराध स्थल की सुरक्षा, जब्ती आदि रात 11:30 बजे की गई? तब तक क्या हो रहा था?" लाइव लॉ के हवाले से सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा।
9 अगस्त को हुई इस भयावह घटना में एक जूनियर डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की गई थी, जिसका शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में गंभीर चोटों के साथ मिला था। 13 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामला कोलकाता पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया गया है।
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