भारत में ओमिक्रॉन संक्रमण की स्थिति क्या है?
देश में ओमिक्रॉन संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है और अभी तक 800 से ज्यादा ओमिक्रॉन वैरीएंट के मरीज भारत में मिल चुके हैं| जिसमें दिल्ली में ही कुल 238 एक्टिव मरीज हैं इसके बाद महाराष्ट्र में 167 मामले सामने आए हैं| वहीं भारत में कुल कोरोनावायरस के एक्टिव मरीज 77002 है|
दुनिया भर के साइंटिस्ट एस घातक वेरिएंट के लिए एंटीबॉडी की खोज कर रहे है| हाल ही में एक स्टडी हुई है जिसमें दावा किया गया है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटी वायरस का पता चल गया है| दुनिया भर में कोरोना वायरस के डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद अब कोरोना के इस नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने तबाही मचानी शुरू कर दी है| इस वैरीएंट की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के एक देश बोत्सवाना से हुई थी लेकिन अब यह नया वेरिएंट 90 से अधिक देशों में फैल चुका है और भारत में भी इस वैरीएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं| इस नए वैरीएंट के कारण एक्सपर्ट्स का कहना है देश में कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका है| इस डर और आशंकाओं के बीच वैज्ञानिकों ने एक राहत भरी खबर दी है| वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने वैरीएंट के उन एंटीबॉडी की पहचान कर ली है जो ओमिक्रॉन और कोरोनावायरस के अन्य वैरीएंट को बेअसर करने में सक्षम है| यह एंटीबॉडीज वायरस के उन हिस्सों को निशाना बनाते हैं जिसमें म्यूटेशन के दौरान कोई भी बदलाव नहीं होता है|
वैज्ञानिक कर रहे हैं कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडीज की खोज|
नेचर जनरल मैं पब्लिश हुई स्टडी से वैक्सीन और एंटीबॉडी के इलाज को डेवलप करने में मदद मिल सकती है जो न केबल ओमिक्रॉन बल्कि भविष्य में कोरोना वायरस के अन्य वैरीएंट के खिलाफ भी असरदार साबित होगी| यानी अब अगर ओमीक्रॉन के बाद भी कोई और नए वेरिएंट का खतरा आता है तो इन एंटीबॉडीज के जरिए उससे निपटा जा सकेगा| यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर "David veesler" ने अपने स्टेटमेंट के जरिए जानकारी दी है "यह रिसर्च हमें बताती है कि कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के सबसे सुरक्षित हिस्से को टारगेट करने वाली एंटीबॉडी पर ध्यान देकर उसकी लगातार खुद को नए रूप में ढलने की क्षमता से लड़ा जा सकता हैं| ओमिक्रॉन वैरीएंट कि स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की संख्या 37 है| स्पाइक प्रोटीन वायरस का वह नुकीला हिस्सा होता है जिसके माध्यम से वह मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है और उन से जुड़कर संक्रमण को फैलाता है| केरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट में हुए नए बदलावों को समझा जा सकता है कि आखिर क्यों यह वैक्सीन लगवाने वाले और पहले से संक्रमित हो चुके लोगों को दोबारा संक्रमित करने में सक्षम है"|
"veesler" ने आगे कहा हम जिन सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे थे वह थे- ओमिक्रॉन वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन ने कोशिकाओं से जुड़ने और इम्यूनिटी कि एंटीबॉडी से बचने की क्षमता को कैसे प्रभावित किया है? इन म्यूटेशन के प्रभाव का अंदाजा करने के लिए रिसर्च ने pseudovirus बनाया जिसमें ओमिक्रॉन जैसे स्पाइक प्रोटीन थे| दूसरी तरफ कोविड-19 की शुरुआती दौर के वायरस में पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन की तुलना में अोमिक्रॉन वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन 2.4 गुना बेहतर ढंग से खुद को मानव कोशिकाओं से बांधने में सक्षम था|
कोरोनावायरस की तीसरी बूस्टर डोज जरूरी क्यो है?
टीम ने अलग-अलग वेरिएंट पर एंटीबॉडी के असर की भी जांच की| शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया के लोगों की एंटीबॉडी जो पहले के वेरिएंट से संक्रमित थे और वह जो अभी सबसे ज्यादा उपयोग की जा रही 6 वैक्सीन मे से कोई भी एक वैक्सीन लगवाई थी सभी में संक्रमण को रोकने की क्षमता कम हो गई थी|
"Veesler" ने कहा जो लोग संक्रमित हो गए थे उसके बाद ठीक हो गए थे और वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे उनकी एंटीबॉडी ने भी एक्टिविटी को लगभग 5 गुना कम कर दिया था| वहीं किडनी डायलिसिस वाले मरीजों का ग्रुप जिन्हें मॉडर्न फाइजर द्वारा बनाई गई वैक्सीन के दोनो डोज के साथ बूस्टर डोज मिला था उनमें एंटीबॉडी की एक्टिविटी में केवल 4 गुना की कमी आई थी| इससे साबित होता है कोरोना के नए वैरीएंट से लड़ने के लिए बूस्टर डोज क्यों जरूरी है| एंटीबॉडी वायरस के कई अलग-अलग वैरीएंट में संरक्षित क्षेत्रों की पहचान करके उन्हें बेअसर करने में सक्षम है| जिससे पता चलता है इन हिस्सों को टारगेट करने वाली वैक्सीन और एंटीबॉडी ट्रीटमेंट नए वेरिएंट के खिलाफ असरदार हो सकते हैं|
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