लोकसभा ने बुधवार को औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयक ध्वनि मत से पारित कर दिए। कार्यवाही 97 विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति में हुई, जिन्हें पिछले सप्ताह से कदाचार और अनियंत्रित व्यवहार के कारण निलंबित कर दिया गया था।
तीनों बिल पिछले हफ्ते अमित शाह ने पेश किए थे। दोबारा तैयार किए गए विधेयकों के नाम हैं - भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक। ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता-1860, दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम-1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगे।
शाह ने कहा कि विधेयक विचार-विमर्श के बाद तैयार किये गये हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा में पेश किए जाने से पहले उन्होंने हर अल्पविराम और पूर्णविराम को भी देखा था। उन्होंने कहा कि तीनों विधेयक भारतीय सोच पर आधारित न्याय व्यवस्था स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून किसी अपराध के लिए सजा देने लेकिन न्याय नहीं करने की औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाते हैं। शाह ने कहा, "तीन प्रस्तावित आपराधिक कानून लोगों को औपनिवेशिक मानसिकता और उसके प्रतीकों से मुक्त करेंगे।"
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