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Writer's pictureAnurag Singh

यूक्रेन विवाद के बीच रूस के समर्थन में आया चीन।

पूर्वी यूरोप में अमेरिकी फौज की तैनाती के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर रूस को चीन का समर्थन मिला है। दोनों देशों ने मिलकर इशारों में अमेरिका को संदेश दिया है।


शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विंटर ओलंपिक के उद्धाटन में शरीक होने के लिए बीजिंग पहुंचे। वहां पुतिन की मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। दोनों नेताओं की बीच यूक्रेन पर भी चर्चा हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने एक साझा बयान दिया। बयान में किसी देश का नाम लिए बिना कहा गया, "कुछ ताकतें जो कि दुनिया के बहुत छोटे हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं, वे अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने के लिए एकतरफा तरीके और ताकत की राजनीति, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी, उनके वैधानिक अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाने, भड़काने, असहमति और टकराव का समर्थन कर रही हैं।"


वहीं मॉस्को को लगता है कि बीजिंग की मदद से उसकी अर्थव्यवस्था ढहने से बची रहेगी। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। दोनों के पास वीटो का अधिकार है। रूसी हमले का डर कितना गंभीर है। यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है जब रूस ने करीब एक लाख सैनिक यूक्रेन की पूर्वी और उत्तरी सीमा पर तैनात किए हैं। वहीं क्रीमिया में तैनात रूसी सेना ने तीसरी तरफ से यूक्रेन को घेरा हुआ है। अमेरिकी सरकार ने चेतावनी दी है कि रूस अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 1,75,000 कर सकता है। पश्चिम के खुफिया विशेषज्ञों के मुताबिक रूसी सेना हमले की तैयारी के लिए जरूरी साजोसामान जुटा रही है। यूक्रेन बॉर्डर के पास रूस के फील्ड हॉस्पिटल बने हैं, जिनमें ब्लड सप्लाई की भी व्यवस्था की गई है। इन तैयारियों के साथ ही रूसी सेना यूक्रेन के उत्तरी पड़ोसी बेलारूस के साथ सैन्य अभ्यास करने जा रही है।


अनुमान है कि इस सैन्याभ्यास में 30 हजार रूसी सैनिक शामिल होंगे। इसके जबाव में हाल के हफ्तों में यूक्रेन को पश्चिमी देश हथियार देने लगे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन एंटी टैंक सिस्टम दे रहे हैं और पूर्वी बाल्टिक के देश एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें। यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को एक अरब यूरो की मदद देने का एलान किया है। इस बीच यूक्रेन ने जर्मनी से हथियार मांगे हैं। जर्मनी किसी भी विवादित इलाके में हथियार नहीं बेचता है। लेकिन अब यूक्रेन ने आत्मरक्षा का हवाला देकर जर्मनी से तुरंत हथियार मुहैया कराने की अपील की है। गैस के लिए रूस पर काफी हद तक निर्भर रहने वाला जर्मनी अब तक अपना स्टैंड साफ नहीं कर सका है। लेकिन एक सवाल अब भी बरकरार है कि क्या पुतिन वाकई यूक्रेन पर हमला करेंगे, अगर हां, तो ये हमला छोटा होगा या बड़ा।


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