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म्यांमार में लोकतंत्र की हत्या पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सूकी को 4 साल की जेल

क्या म्यानमार मे लोकतंत्र दोबारा देखने को मिलेगा?


म्यांमार के जो हालात हैं उसे देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या म्यांमार में लोकतंत्र अब दोबारा देखने को मिलेगा? क्योंकि म्यांमार के हालात बहुत ही ज्यादा गंभीर हो गए हैं जैसा कि हमें पता चला था साल की शुरुआत में ही म्यांमार में 1 फरवरी 2020 को तख्तापलट हुआ है और वहां के राष्ट्रपति के साथ साथ जितने भी बड़े नेता थे उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। अब उन्हें जेल में डाला गया तो इसका मतलब यह है कि उन पर कई आरोप भी लगाए गए होंगे जिसकी कार्रवाई भी की जाएगी और अदालत में सुनवाई होगी लेकिन अब म्यांमार में मार्शल लॉ है जिसे मिलिट्री लॉ भी कहा जाता है। ये लगने के कारण सब कुछ मिलिट्री के कंट्रोल में है और मिलिट्री जो चाहे वह करवा सकती है वहां के पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सुकी के ऊपर कई सारे आरोप लगाए गए हैं और उन पर कई केस भी दर्ज हो चुके हैं और सभी केसों की कार्रवाई जारी है उनके पहले केस की सुनवाई हो चुकी है और उन्हें 4 साल की सजा सुना दी गई है यह सजा सिर्फ एक केस की है। उन पर जितने भी केस दर्ज किए गए हैं उन सब केसों की सजा लगभग 102 साल हो सकती है।


म्यांमार की पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सूकी को लगभग 102 साल की सजा म्यांमार में तख्तापलट होने के कारण वहां मिलिट्री नियम लागू|


⚪आइए जानते हैं म्यांमार में आखिर हो क्या रहा है इसकी चर्चा चारों तरफ क्यों हो रही है म्यांमार के अंदर तख्तापलट हो चुका है और अब वहां मिलिट्री का राज है म्यांमार की राष्ट्रपति को भी गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया है और म्यांमार के अंदर एक स्पेशल कोर्ट लगाई गई है ताकि जिन पॉलीटिकल लीडर्स को म्यांमार की आर्मी ने गिरफ्तार किया है। उन पर केस चला सके और केस के सही साबित होने पर उन्हें सजा सुना सके म्यांमार के उसी स्पेशल कोर्ट के जरिए वहां की पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सूकी को उनके पहले केस में दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई गई है और उन पर दर्ज सभी केसों में यह पहला केस है। इस पूरे मामले में उनके खिलाफ कुल 11 केस दर्ज किए गए हैं और इन सभी केसो की सज़ा लगभग 102 साल हो सकती है।


⚪जैसा कि हमें पता है कि इसी साल की शुरुआत में म्यानमार की आर्मी ने तख्तापलट किया था उसके पीछे का कारण यह था कि 2020 के चुनाव में नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी को भारी बहुमत से जीत मिली थी और विपक्ष को कड़ी हार झेलनी पड़ी थी और वह विपक्ष पार्टी म्यानमार मिलिट्री द्वारा खड़ी की गई थी जिसका नाम यूएसडीपी है और यह बात म्यानमार के मिलिट्री को पसंद नहीं आई और उन्होंने तख्तापलट कर दिया।


⚪अगर हम बात करें म्यानमार की पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सूकी की तो वह एक नोबेल प्राइज विजेता भी हैं म्यानमार में अधिकतर मिलिट्री लॉ देखने को मिलता है और इसी वजह से यह आंग सान सूकी को 15 साल तक म्यानमार की मिलिट्री द्वारा उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा गया। यह एक तरह का हाउस अरेस्ट होता है जो मिलिट्री द्वारा किया गया था और इसी वजह से उन्हें नोबेल प्राइज दिया गया था इसके अलावा जब म्यानमार में 2015 में इलेक्शन हुए और लोकतंत्र को वापस लाने की कोशिश हुई तो नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी पार्टी जीती लेकिन फिर भी आंग सान सूकी को म्यानमार का राष्ट्रपति नहीं बनने दिया गया। इसके पीछे का यह कारण दिया गया कि आंग के बच्चे फॉरेन के नेशनल हैं और म्यानमार की मिलिट्री ने कहा कि हमारे देश का कानून कहता है कि अगर आपके बच्चे फॉरेन नेशनल के हैं तो आप राष्ट्रपति नहीं बन सकते फिर भी वह पार्टी से जुड़ी रही और म्यानमार के लिए और अाम लोगों के लिए काम करती रही|


⚪तख्तापलट के बाद उन पर कई केस दर्ज किए गए जिस केस की सुनवाई के दौरान उन्हें 4 साल की सजा सुनाई गई है। उसमें कोरोना प्रोटोकोल ना फॉलो करना और मिलिट्री के खिलाफ आम जनता को भड़काना भी शामिल है और इसी तरह के बेबुनियाद केस म्यानमार की पूर्व राष्ट्रपति पर लगाए गए हैं और उन पर भ्रष्टाचार के भी कई मामले दर्ज किए गए हैं इन सभी के को लेकर म्यानमार की जनता प्रोटेस्ट भी कर रही है लेकिन मिलिट्री लो होने के कारण यह प्रोटेस्ट ज्यादा देखने को नहीं मिलते मिलिट्री उन्हें दबा देती है जैसा अभी हो रहे प्रोटेस्ट में देखने को मिल रहा है। मिलिट्री ने 15 लोगों को अरेस्ट कर लिया है और इस प्रोटेस्ट के दौरान 5 लोगों की मृत्यु भी हो गई है इसे लोकतंत्र की हत्या करना कहते हैं देश में लोकतंत्र होना जनता का अधिकार है जनता को अपनी सरकार चुनने का हक होना चाहिए।

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