भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी और दो बार ओलंपिक मेडल विजेता रह चुकीं पीवी सिंधु ने रविवार को आयोजित बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल में रजत पदक को अपने नाम किया। फाइनल में पीवी सिंधु को दक्षिण कोरिया की बैडमिंटन चैंपियन सी-यंग के सामने खड़ा किया गया था, और 40 मिनट के कठिन परिश्रम के बाद हिंदू के हाथ रजत पदक लगा। सिंधु ने रक्षात्मक रूप से शुरुआत की और मैच का अंत 16-21, 12-21 पर हुआ। कई बार मीटिंग के बावजूद यह तीसरी बार है जब सिंधु को दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी से हार का सामना करना पड़ा। सी-यंग की जीत ने उन्हें सीजन के अंत का खिताब जीतने वाली पहली दक्षिण कोरियाई महिला बना दिया। और खास बात यह है कि सिंधु ने भी 2018 में इसी खिताब का दावा किया था, वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली एकमात्र भारतीय बनीं।
अपने खेल के प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए सिन्धु ने कहा कि यह मैच बहुत अच्छा रहा और सी-यंग बेहद अच्छी खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने ये नहीं सोचा था कि मैच बहुत सरल होगा वे अच्छे मैच के लिए तैयार थीं, लेकिन उन्हें सी-यंग को शुरू में ही बढ़त नहीं देनी चाहिए थी, क्योंकि आखिर में वो पॉइंट्स कवर करने के लिए वापस आती। सिंधु के अनुसार वह इस मैच से काफी कुछ सिखाती है और आगे आने वाले चैंपियनशिप में लड़ने के लिए अच्छी तरह तैयारी करेंगी।
सिंधु ने बीडब्ल्यूएफ के सेमीफाइनल में जापान की अकाने यामागुची को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन फाइनल में दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी से हार का सामना करना पड़ा। एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच मालविंदर ढिल्लों को यह कहते हुए सुना गया था कि सिंधु को भविष्य के टूर्नामेंट में सी-यंग के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने लेग मूवमेंट पर काम करने की जरूरत है। और इस खेल में भी पीवी ने अंत में अपने लेग मूवमेंट खोने शुरू कर दिए। हालांकि पीवी सिंधू ने बाकि खिलाड़ियों को कड़ी टक्कर दी। उम्मीद है सिंधु को भविष्य में भारत को ऐसे ही कई पदक दिलाने में कामयाबी हासिल हो।
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