फ्रांस में इन दिनों राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहे हैं। रविवार को पहले चरण की वोटिंग शुरू हुई। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने दूसरे कार्यकाल के लिए प्रयास कर रहे हैं तो उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी टक्कर भी मिल रही है। इस बार 12 प्रत्याशी रेस में हैं। 24 अप्रैल को इसमें से टॉप के दो प्रत्याशी ही मैदान में रह जाएंगे।
इन चुनावों में 4.8 करोड़ मतदाता 12 उम्मीदवारों में से एक को इस शीर्ष पद के लिए चुनेंगे। राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों दूसरी बार पांच साल के कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे हैं । मतदान ज्यादातर स्थानों पर रविवार सुबह आठ बजे शुरू और शाम सात बजे संपन्न होगा। हालांकि, कुछ बड़े शहरों में मतदान रात आठ बजे तक चलेगा।
रविवार 24 अप्रैल को दूसरा और निर्णायक दौर का मतदान होगा। मैक्रों के अलावा दक्षिणपंथी उम्मीदवार मारिन ली पेन और वामपंथी नेता ज्यां-लुस मेलेंकोन राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल हैं।
फ्रांस के छोटे शहरों और गांवों में मैक्रों की छवि बहुत अच्छी नहीं है। उन्हें अभिमानी समझा जाता है। 2018 में उनके खिलाफ येलो वेस्ट आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन अमीरों के लिए टैक्स में कटौती वाली नीति के विरोध में हुआ था। हालांकि कोरोना काल में मैक्रों के आर्थिक पैकेज की प्रशंसा भी होती रही है।
वहीं ली पेन अपनी कट्टरपंथी छवि के लिए जाने जाते हैं। हालांकि इस बार वह नरमी से पेश आने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार प्रमुख मुद्दा कमाई और महंगाई ही है। लोग रोजगार की मांग कर रहे हैं। वहीं यूक्रेन युद्ध की वजह से फ्रांस की मौजूदा सरकार के लिए दिक्कतें सामने आ रही हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि, रोजगार में कमी, वेतन न बढ़ना और महंगाई मैक्रों के लिए चिंता का विषय है।
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