अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है। उनका शव नायलॉन की रस्सी में बारंग बाघम्बरी मठ के कमरे में लटका हुआ मिला। पुलिस को वहाँ से 8 पेज का सुसाइड नोट भी मिला है।
सुसाइड नोट में उन्होंने आनंद गिरी का नाम लिया है, जिससे उनका विवाद हो गया था। नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरी पर उनके चरित्र को बदनाम करने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा नोट में उन्होंने हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का भी जिक्र किया है।सुसाइड नोट में उन्होंने कहा है कि ये तीनो मेरी मौत के जिम्मेदार है। तीनो ने महंत को मानसिक तौर पर परेशान किया था।
पुलिस ने आनंद गिरि समेत तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है, और पूछताछ जारी है।
इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दुख जताया है। इस घटना से पूरे संत समाज में शोक की लहर है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी भी मंगलवार सुबह प्रयागराज पहुंचे। प्रयागराज रेंज के आईजी के पी सिंह ने बताया कि पूरे मठ को अपने नियंत्रण में ले लिया है और जांच जारी है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद ही घटना का कारण साफ हो पाएगा। बुधवार को सुबह 9 बजे पोस्टमार्टम होगा, और गुरुवार को उन्हें समाधि दी जायेगी।
बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि पिछले दो दशकों से साधु संतों के बीच एक अहम स्थान रखते थे। प्रयागराज पहुंचने वाले बड़े नेता हो या पुलिस प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से मिलने और लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते थे।
नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य आनंद गिरी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। लेकिन बाद में उनके बीच समझौता हो गया था। हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरी के पैरों में पड़ कर माफी मांगी थी। इससे पहले आनंद ने कहा था कि उनके गुरु के कई बड़े और महंगे शौक है। इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरी मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। मठ के सेवादारों के परिवारों पर करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप आनंद ने लगाया। इसके बाद 14 मई 2021 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन जी ने आनंद गिरि को अखाड़ा और बाघम्बरी गद्दी से बाहर कर दिया था।
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