प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद तथा उन देशो की निंदा की, जो आतंकवादियों के सीमा पार आवागमन, आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
दोनों नेताओं ने 8 जुलाई, 2024 को जम्मू और कश्मीर के कठुआ क्षेत्र में सेना के काफिले पर, 23 जून को दागेस्तान में और 22 मार्च को मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए नृशंस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि ये आतंकवादी हमले आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग को और मजबूत करने की एक गंभीर चेतावनी हैं।
22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और उग्रवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ बिना किसी समझौते के लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के ठोस आधार पर इस क्षेत्र में बिना किसी छिपे एजेंडे और दोहरे मानकों के सहयोग बढ़ाने के महत्व पर ध्यान दिया। इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों के दृढ़ कार्यान्वयन और साथ ही संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया।
दोनों नेताओं ने आतंकवाद का मुकाबला करने में राज्यों और उनके सक्षम अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर जोर दिया और कहा कि आतंकवादी खतरों को रोकने और उनका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता और संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने के साथ-साथ आतंकवाद के लिए अनुकूल आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने पर यूएनजीए और यूएनएससी प्रस्तावों के कार्यान्वयन का आह्वान किया।
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