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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सऊदी अरब दौरा: सामरिक साझेदारी और ऊर्जा सहयोग की ओर एक बड़ा कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर सऊदी अरब में हैं, जहाँ वे जेद्दा में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ उच्चस्तरीय स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेंगे। यह परिषद भारत और सऊदी अरब के बीच 2019 में स्थापित की गई थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करना है। यह बैठक भारत-सऊदी संबंधों के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ मानी जा रही है।


प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में ऊर्जा सुरक्षा, हरित ऊर्जा, रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, सऊदी अरब से ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने का इच्छुक है। वहीं सऊदी अरब भी विजन 2030 के तहत भारत को एक विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में देखता है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर की संयुक्त परियोजनाओं पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिसमें हरित हाइड्रोजन, तेल भंडारण, डिजिटल अर्थव्यवस्था और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं।


इस यात्रा में एक और महत्वपूर्ण पहलू रक्षा और सुरक्षा सहयोग का है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग, समुद्री सुरक्षा और रक्षा उत्पादन में साझेदारी को लेकर गंभीर बातचीत हुई है। अब उम्मीद की जा रही है कि इस दौरे के दौरान दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास, खुफिया आदान-प्रदान और रक्षा प्रौद्योगिकी के सह-निर्माण की दिशा में ठोस समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।


प्रधानमंत्री मोदी अपने प्रवासी भारतीयों से भी मिलेंगे और जेद्दा में एक विशेष भारतीय समुदाय सम्मेलन को संबोधित करेंगे। सऊदी अरब में लगभग 20 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो दोनों देशों के सामाजिक और आर्थिक संबंधों का अहम पुल हैं। मोदी इस अवसर पर भारतीय समुदाय की सराहना करते हुए उन्हें भारत की "सॉफ्ट पावर" बताया है, और उनकी भूमिका को भारत की वैश्विक छवि निर्माण में महत्वपूर्ण बताया।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक ओर यह यात्रा खाड़ी क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करती है, वहीं यह पश्चिम एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के संतुलन के रूप में भी देखी जा रही है। इसके अतिरिक्त, यह यात्रा इस संदेश को भी सुदृढ़ करती है कि भारत वैश्विक मंच पर एक संतुलित, विश्वसनीय और सक्रिय भागीदार की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।


प्रधानमंत्री की यह यात्रा दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है, जिसकी परिणति आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा में दिखाई देगी।

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