top of page

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' के गठन की याचिका पर विचार करने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' के गठन की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह अधिकारियों को ऐसा बोर्ड गठित करने का निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि यह मुद्दा नीतिगत दायरे में आता है और याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसके बजाय सरकार से संपर्क करें।


न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, "आपको सरकार के पास जाना होगा। हम ऐसा नहीं करते। वे (सांसद) इसे संसद में उठाएंगे। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। हम यह नहीं कह सकते कि ट्रस्ट बनाओ।"


याचिकाकर्ता 'सनातन हिंदू सेवा संघ ट्रस्ट' के वकील ने तर्क दिया कि बोर्ड की जरूरत 'सनातन धर्म' की रक्षा के लिए है, जिसके अनुयायियों पर कथित तौर पर अन्य धर्मों के अनुयायी हमला कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य धर्मों के लिए भी इसी तरह के बोर्ड मौजूद हैं, लेकिन उन्हें अभी तक केंद्र से उनके प्रतिनिधित्व पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।


अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगे गए निर्देश पारित करने के लिए उसके पास न तो ज्ञान है और न ही क्षमता। अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता को सरकार से संपर्क करने की स्वतंत्रता देते हुए रिट याचिका बंद की जाती है।"

תגובות


bottom of page