तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के नागरिकों की हालत काफी खराब है सभी लोग दहशत में है जिसमें सबसे ज्यादा तकलीफ महिलाओं और लड़कियों को है। दुनिया भर में जेंडर इक्वलिटी की बात होती है। लेकिन तालिबान महिलाओं और पुरुषों को बराबर का दर्जा देना तो दूर उस बारे में बात तक नहीं करता। तालिबानियों के राज में महिलाओं और लड़कियों की आजादी केवल नकाब और हिजाब तक ही सीमित है। वे अपनी मर्जी से अकेले घर से बाहर जाने तक के लिए स्वतंत्र नहीं है। अगर उन्हें घर से बाहर जाना है तो वो केवल अपने घर के या किसी रिश्तेदार के पुरुष के साथ ही जा सकती हैं।
तालिबान ने कई बार यह संदेश दिया कि उससे महिलाओं की शिक्षा से कोई समस्या नहीं लेकिन
तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा को लेकर अलग ही नियम बना दिए हैं। तालिबान ने रविवार को शिक्षा को लेकर आदेश जारी किये। जिसके नियम के अनुसार अगर कोई महिला यह लड़की विश्वविद्यालय जाना चाहती है,तो उसे नकाब ही पहन कर जाना चाहिए। जिसमें उनकी आंखों को छोड़कर पूरा चेहरा ढाका रहना चाहिए। इसके अलावा कक्षाओं में महिलाओं और पुरुषों को अलग किया जाना चाहिए या फिर उनके बीच कम से कम एक पर्दा होना चाहिए। इसके अलावा यह भी नियम बनाए की महिला छात्रों को केवल महिला शिक्षक ही पढ़ाएगी। यदि यह संभव न हो पाये तो अच्छे चरित्र के बूढ़े व्यक्ति ही पढ़ा सकते हैं।
अफगानिस्तान में सोमवार से विश्वविद्यालय की कक्षाएं शुरू की जा चुकी है। और उसके बारे में वहां की एक स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने एक फोटो पोस्ट की जिसमें देखा गया कि एक कक्षा में महिला और पुरुष छात्र के बीच पर्दा करके बैठाया गया है।
कुछ वर्षों से अफगानिस्तान में नकाब और बुर्खा कम ही दिखाई देते थे। यह केवल कुछ गांवों और कस्बों में दिखाई देते थे। लेकिन तालिबानियों के आने के बाद वहां की महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी फिर से नकाब और हिजाब में आ गई।
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