झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया।
"मुझे 5 महीने तक सलाखों के पीछे रखा गया...हम देख रहे हैं कि न्यायिक प्रक्रिया में केवल दिन या महीने नहीं बल्कि सालों लग रहे हैं...आज, यह पूरे देश के लिए एक संदेश है कि हमारे खिलाफ कैसे साजिश रची गई...हमने जो लड़ाई शुरू की और जो संकल्प लिए, हम उन्हें पूरा करने के लिए काम करेंगे," सोरेन ने संवाददाताओं से कहा।
सोरेन को इस मामले में अदालत द्वारा दो सप्ताह पहले याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखने के बाद जमानत दी गई थी। न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय की एकल पीठ ने ₹50,000 के जमानत बांड और समान राशि के दो जमानतदारों पर सोरेन को जमानत दी।
सोरेन के वकील ने बताया कि अदालत ने माना है कि प्रथम दृष्टया पूर्व मुख्यमंत्री अपराध के दोषी नहीं हैं। वरिष्ठ वकील अरुणाभ चौधरी ने बताया, "अदालत ने माना है कि प्रथम दृष्टया वह अपराध के दोषी नहीं हैं और जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।" झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। 48 वर्षीय राजनेता तब से रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद थे। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले एसवी राजू ने जमानत याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सोरेन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्होंने पहले राज्य मिशनरी का इस्तेमाल करके खुद को बचाने की कोशिश की थी। "अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वह राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके जांच को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं।"
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