अमरनाथ यात्रा मार्ग पर तैनात अर्धसैनिक बलों की कम से कम 350 कंपनियां, जो तीर्थयात्रा सुरक्षा ड्यूटी पूरी करने के बाद 19 अगस्त के बाद वापस लौट आने वाली थी, अब विधानसभा चुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर में ही रहेंगी, मामले से अवगत अधिकारियों ने बताया।
रुकी हुई कंपनियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सभी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपने अधिकांश कर्मियों को भारत-बांग्लादेश सीमा पर पूर्वी सीमा पर भेजेगा, जो बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण हाई अलर्ट पर है।
5 अगस्त को शेख हसीना को हटाए जाने और बांग्लादेश में हिंसा के कारण अवामी लीग के सदस्यों सहित इसके कई नागरिक सीमा पार कर भारत में प्रवेश कर गए। पिछले दो सप्ताह में बांग्लादेशी नागरिकों का कोई सामूहिक जमावड़ा नहीं हुआ है (5 अगस्त के बाद पहले सप्ताह में ऐसे चार मामले सामने आए थे), लेकिन 4,096.7 किलोमीटर लंबी सीमा पर विभिन्न बटालियनों ने बेहतर नौकरी के अवसरों के लिए भारत में घुसने की कोशिश करने वाले लोगों के अलग-अलग मामलों की रिपोर्ट की है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस सप्ताह के अंत में चुनाव आयोग सभी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित कर कंपनियों की तैनाती पर फैसला ले सकता है।
एक अर्धसैनिक बल कंपनी में कम से कम 120 कर्मी होते हैं, जो कंपनी के स्थित होने के क्षेत्र पर निर्भर करता है।
मामले से अवगत अधिकारियों ने कहा, "करीब 350 कंपनियां, जिनमें से अधिकांश सीआरपीएफ की हैं, चुनाव सुरक्षा ड्यूटी के लिए जम्मू-कश्मीर में तैनात रहेंगी। उन्हें किन क्षेत्रों में तैनात करने की जरूरत है, यह विभिन्न एजेंसियों की संयुक्त सुरक्षा समीक्षा के बाद तय किया जाएगा। अमरनाथ यात्रा सुरक्षा ड्यूटी में करीब 470 कंपनियां शामिल थीं, जिनमें से कम से कम 133 बीएसएफ से भेजी गई थीं, जो सीआरपीएफ के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।"
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