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कोरोनाकाल का किस पर कितना असर और क्या है स्कूली बच्चों का भविष्य

2019 के आखिरी से लेकर आज तक हम कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रहे हैं। इस कोरोनाकाल ने हमें कई प्रकार की परिस्थितियाँ दिखाई। किसी ने अपनों को खोया, किसी का करियर डूबा और कईयों ने बेरोजगारी का सामना किया। कोरोनावायरस ने हर किसी के ऊपर अलग-अलग असर डाला है। इसका प्रभाव हर क्षेत्र में पड़ा है। इस महामारी के दौरान शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कुछ खोया ना हो। पर इंसानियत के नाम पर कलंक लगाने वाले लोगों ने इसके नाम पर भी अपना फायदा सोचा। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया गया। जैसे:- हॉस्पिटल में लाखों का बिल बनाना, नकली दवाइयां बेचना, किसी भी सामान में अपनी मनमानी का दाम लगाना आदि। कालाबाजारी जमकर देखने को मिली। पर छोटे-बड़े हर व्यक्ति ने इस समस्या का सामना करके हिम्मत भी दिखाई।


अब अगर हम बात करें छात्रों के भविष्य की तो उन पर कोरोना का क्या असर हुआ है ? क्या उनकी पढ़ाई कोरोनाकाल में भी वैसे ही है, जैसे पहले के सामान्य दिनों में हुआ करती थी?

इस प्रश्न का उत्तर शायद नहीं हो सकता है क्योंकि कोरोना का सबसे ज्यादा असर हमारे स्कूली बच्चों पर हुआ है। उन छोटे बच्चों पर जिनकी नींव(base) मजबूत करना जरूरी होता है। जिनका पढ़ाई का शुरुआती दौर होता है और यह दौर उनके दिमाग के विकास होने का होता है। जिसके लिए एक सही मार्गदर्शन और एक सही दिशा निर्देशन की जरूरत होती है, जो एक स्कूल से बेहतर और कहीं नहीं मिल सकती।



ऑनलाइन क्लासेस


अगर हम बात करें ऑनलाइन क्लासेस की तो क्या यह बच्चों की नींव (base) मजबूत करने में सहायक है?

देखा जाए तो कोरोनाकाल में बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल बंद करने जैसा बड़ा कदम उठाया गया जिसकी हम सराहना करते हैं क्योंकि यह जरूरी था। हम बच्चों के ऊपर कोई खतरा मोल नहीं ले सकते हैं। और ऑनलाइन पढ़ाई कराना भी एक अच्छा विचार है, अच्छी बात है।


ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को पढ़ने में तो मदद मिलती है लेकिन वे सीखना भूल रहे हैं। क्योंकि बच्चे जब स्कूल जाते हैं तब कई सारी चीजें सीखते हैं। जैसे:- वह पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा को समझ पाते हैं, अनुशासन में रहना सीखते हैं, नियमों और आज्ञाओं का पालन करना सीखते हैं, उनके दिमाग का विकास होता है और वह एक्टिव बनते हैं। और यह सारी चीजें ऑनलाइन शिक्षण में कम ही हो पाती है। यह नुक्सान तो जो हुआ वो हुआ, ऑनलाइन क्लास के चक्कर में बच्चे मोबाइल पर जो आँखे गडाए रखते हैं वह तो उनके स्वास्थ्य के लिए अति हानि कारक है ।


छात्रों के लिए विद्यालयों और महाविद्यालयों का खुलना जरूरी है। यह एक नए नियम के साथ, सही गाइडलाइंस के साथ, सुरक्षा और सावधानियां बरतने के साथ और वैक्सीनेशन के साथ संभव हो सकता है।

लेकिन यह भी है कि यह सभी समय पर भी निर्भर है।


आशा करतें है कि बच्चों का भविष्य उज्जवल हो और हर किसी को हिम्मत मिले।

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