उच्च न्यायालय ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के खिलाफ 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान दर्ज एक आपराधिक मामले में कार्यवाही को रद्द कर दिया है। मामला जेवर्गी में एक मजिस्ट्रेट अदालत के अधिकार क्षेत्र में दर्ज किया गया था।
मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा के पास नकदी मिलने के बाद शिकायत दर्ज की गई थी। प्राथमिकी आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत दर्ज की गई थी। मायावती और मिश्रा ने याचिका दायर कर पूरी कार्यवाही को रद्द करने की प्रार्थना की थी।
आरोप यह था कि याचिकाकर्ताओं ने अधिकारी से करेंसी बंडल छीन लिया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि आपराधिक बल का उपयोग नहीं किया गया था। उच्च न्यायालय के सरकारी वकील ने तर्क दिया कि अधिकारी को मुद्रा की गिनती करने से रोकने का कार्य आईपीसी की धारा 353 के तहत आपराधिक है। न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव ने कहा कि जहां तक आईपीसी की धारा 188 का संबंध है, स्पष्ट रूप से सीआरपीसी की धारा 200 के तहत शिकायत दर्ज करना आवश्यक है। इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग के संचार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा चेकिंग टीम द्वारा नकदी की जब्ती नहीं की गई थी।
コメント