कठुआ आतंकी हमले के एक दिन बाद एक प्रत्यक्षदर्शी ने मंगलवार को बताया कि आतंकवादियों द्वारा लक्षित सेना के ट्रक पर हमला करने से कुछ मिनट पहले ही नागरिकों से भरी एक बस उस सड़क से गुजरी थी। घटनास्थल से कुछ मीटर की दूरी पर दुकान चलाने वाले पूरन चंद शर्मा ने बताया, "हमले से 10 मिनट पहले एक सिविल बस सड़क से गुजरी थी। हमने जोरदार धमाका सुना और शुरू में इसे टायर फटने के रूप में समझा। लेकिन उसके बाद हुई भारी गोलीबारी से हमें एहसास हुआ कि मुठभेड़ शुरू हो गई है।"
शर्मा ने बताया, "करीब 12 ग्रामीण मेरी दुकान पर थे। गोलीबारी में फंसने से बचने के लिए हम दुकान के अंदर छिप गए। शाम 5 बजे तक गोलीबारी जारी रही और उसके बाद एक घंटे तक रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही। गोलीबारी बंद होने के बाद हम हताहतों को निकालने में मदद करने के लिए दौड़े।" यह हमला कठुआ के जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर बिलावर तहसील के लोई मल्हार के बदनोटा गांव में दोपहर करीब 3:30 बजे हुआ। इस बीच, एक अन्य स्थानीय निवासी विजय कुमार ने बताया कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद के फैलने के बाद से गांव में यह पहली आतंकी घटना है।
कुमार ने कहा, "हमने अपने इलाके में आतंकवादियों की कोई गतिविधि नहीं देखी है, जहां 100 से अधिक परिवार रहते हैं। आतंकवादी शायद उस बस में सवार होकर यहां आए थे जो घात लगाने से कुछ समय पहले यहां से गुजरी थी।"
कुल 10 सैनिक घायल हुए, जिनमें से पांच की मौत हो गई, जबकि बाकी का इलाज चल रहा है।
भारी बारिश के कारण सोमवार देर रात को हमलावरों की तलाश स्थगित कर दी गई थी, जिसे मंगलवार को फिर से शुरू किया गया। कठुआ, उधमपुर और डोडा सहित विभिन्न दिशाओं से भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त तलाशी दलों ने तलाशी अभियान शुरू किया।
अधिकारियों ने बताया कि सेना के शीर्ष पैरा-कमांडो और खोजी कुत्ते भी तलाशी अभियान में शामिल हुए, जबकि निगरानी के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को भी लगाया गया।
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