जहां पूरे देश के बच्चे हफ्ते भर संडे आने का इंतजार करते हैं ताकि स्कूल की छुट्टी हो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के पुणे में एक ऐसा स्कूल भी है जहां पर बच्चे संडे को भी स्कूल जाते हैं और बहुत चाव से जाते हैं। यह स्कूल शहर से 60 किलोमीटर दूर बसा है। स्कूल पूरी तरह से ग्रामीण स्कूल है, तथा इस स्कूल को मात्र दो ही शिक्षकों द्वारा चलाया जाता है। ग्रामीण इलाके से होने के बावजूद इस स्कूल के बच्चे हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं। यही वजह है कि यह स्कूल पूरे देश के लिए अब एक मिसाल बन गया है।
एनसीईआरटी की टीम मार्च में स्कूल का दौरा करने के लिए पहुंची थी और उन्होंने इस स्कूल में दिए जाने वाली शिक्षा की तारीफ भी की। एनसीईआरटी की टीम के मुताबिक जहां ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा की कमी होती है, वहीं दूसरी तरफ इस स्कूल के बच्चे ऐसे हैं जो कक्षा में प्रवेश करने से पहले ही सब कुछ पढ़ कर आते हैं।
NCERT की टीम में शामिल एक प्रोफेसर ने यह बयान दिया कि इस स्कूल में बच्चों को इतनी अच्छी शिक्षा कैसे दी जाती है, तथा ग्रामीण इलाके में होने के वावजूद क्वालिटी एजुकेशन को कैसे बरकरार रखा है, इस पर एक शोध किया जा सकता है।
NCERT की टीम के मुताबिक जहां बच्चे हर वर्ष एक स्कूल को छोड़ कर दूसरे स्कूल में दाखिला लेते है, वहीं दूसरी तरफ यह एक ऐसा स्कूल है, जिसे बच्चे छोड़ना नहीं चाहते। ग्रामीण इलाके में होने के बावजूद यह स्कूल बहुत ही अच्छा है तथा यहां की एजुकेशन क्वालिटी बाकी शहरी स्कूलों से बेहतर है।
देश भर में यह स्कूल एक मिसाल कायम करता है कि जरूरी नहीं है ग्रामीण इलाके के स्कूल तथा स्कूल की एजुकेशन हमेशा खराब ही हो। और तो और देश भर के बच्चों को यहां पढ़ रहे बच्चों से सीख भी लेनी चाहिए की पढाई कैसे करते हैं, आगे कैसे बढ़ते हैं।
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