आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार और त्रिपुरा एक दर्जन से अधिक राज्यों में शामिल हैं, जहां माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर राष्ट्रीय औसत 14.6 प्रतिशत से अधिक है।
केंद्र सरकार ने इन राज्यों को ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए विशेष कदम उठाने का सुझाव दिया है।
यह जानकारी 2022-23 के लिए 'समग्र शिक्षा' कार्यक्रम पर शिक्षा मंत्रालय के तहत परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पीएबी) की बैठकों के कार्यवृत्त से प्राप्त हुई है।
ये बैठकें अप्रैल से जुलाई के बीच अलग-अलग राज्यों के साथ हुईं।
सूत्रों के अनुसार, सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लक्ष्य के अनुसार 2030 तक स्कूल स्तर पर 100 प्रतिशत सकल नामांकन दर (जीईआर) हासिल करना चाहती है और ड्रॉपआउट को एक बाधा मानती है।
बिहार में माध्यमिक स्तर पर 2020-21 में स्कूल छोड़ने की दर 21.4 फीसदी, गुजरात में 23.3 फीसदी, मध्य प्रदेश में 23.8 फीसदी, ओडिशा में 16.04 फीसदी, झारखंड में 16.6 फीसदी, त्रिपुरा में 26 फीसदी और कर्नाटक में 16.6 प्रतिशत दर्ज की गई।
दस्तावेजों के अनुसार, प्रासंगिक अवधि के दौरान दिल्ली के स्कूलों में नामांकित विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) की अनुमानित संख्या 61,051 थी, जिनमें से 67.5 प्रतिशत ने स्कूल छोड़ दिया या उनकी पहचान नहीं की जा सकी। पीएबी ने दिल्ली सरकार से ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूली शिक्षा की मुख्यधारा में वापस लाने का काम तेजी से पूरा करने को कहा है।
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