प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आजादी के बाद आंतरिक सुरक्षा तंत्र में सुधार की जरूरत थी, लेकिन देश इस क्षेत्र में पिछड़ गया।
गांधीनगर जिले के लावाड में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ब्रिटिश शासन के दौरान आंतरिक सुरक्षा जनता के बीच भय पैदा करने के इर्द-गिर्द घूमती थी, जिसे बदलने की जरूरत थी।
आजादी के बाद सुधारों की जरूरत थी, लेकिन दुर्भाग्य से इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं हुआ और हम पिछड़ गए। पीएम ने कहा, 'अब भी पुलिस के बारे में यही धारणा है कि उनसे दूर रहना चाहिए...'
प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्मियों की संख्या बढ़ाने से ज्यादा जरूरत ऐसे प्रशिक्षित अधिकारियों की है जो प्रौद्योगिकी, मानव मानस को समझते हों, युवा पीढ़ी से संवाद करना जानते हों ।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी के कारण, सुरक्षा बल "बातचीत" करने की क्षमता खो देते हैं और " कभी-कभी कुछ शब्दों के कारण अंतिम समय में चीजें गलत हो जाती हैं।"
उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा कर्मियों को असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने में सक्षम होना चाहिए और समाज के साथ नरमी से पेश आना चाहिए और लोगों में दोस्ती और विश्वास की भावना पैदा करनी चाहिए।
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