चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों का नाम बदलने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि यह पड़ोसी देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "क्लीन चिट" और सीमा पर चीनी कार्रवाइयों पर उनकी "वाक्पटु चुप्पी" का परिणाम है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चीन को मोदी की "क्लीन चिट" के परिणामों का देश लगातार सामना कर रहा है।
"तीसरी बार चीन ने अरुणाचल प्रदेश में हमारे क्षेत्रों का नाम बदलने की हिम्मत की है।
21 अप्रैल, 2017 - 6 स्थान, 30 दिसंबर, 2021 - 15 स्थान, 3 अप्रैल, 2023 - 11 स्थान।
खड़गे ने हिंदी में एक ट्वीट में कहा, "अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। गलवान के बाद देश मोदीजी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट का परिणाम भुगत रहा है।"
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि चीन ने 2000 वर्ग किमी जमीन छीन ली है, जगहों के नाम बदल रहे हैं- प्रधानमंत्री चुप हैं, कोई जवाब नहीं! प्रधानमंत्री जी, इतना डर क्यों?
भारत ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का नाम बदलने को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह राज्य भारत का अभिन्न अंग है और 'आविष्कृत' नाम देने से यह वास्तविकता नहीं बदलती है।
नई दिल्ली की प्रतिक्रिया बीजिंग द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 11 और स्थानों के लिए चीनी नामों की घोषणा के जवाब में आई है, जिसे पड़ोसी देश तिब्बत का दक्षिणी भाग होने का दावा करता है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक शीर्ष चीनी राजनयिक ने हाल ही में दावा किया है कि भारत-चीन सीमा की स्थिति अब "स्थिर" है।
"लेकिन चीन के उकसावे और अतिक्रमण जारी हैं। इसने अब अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के लिए चीनी नामों का तीसरा सेट जारी किया है, ऐसा पहले 2017 और 2021 में किया था।
रमेश ने एक बयान में कहा, "यह वह कीमत है जो हम जून 2020 में चीन को पीएम मोदी की क्लीन चिट और चीनी कार्रवाइयों पर उनकी स्पष्ट चुप्पी के लिए चुका रहे हैं।"
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