कल महिला दिवस के अवसर पर कारोबारी और वेदांता ग्रुप के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने अपनी पत्नी मां और बेटी को बधाई देते हुए एक ट्वीट किया। अनिल अग्रवाल ने ट्वीट कर अपनी कहानी बयां की जहां उन्होंने यह बताया कि कैसे उन्होंने ₹400 से 150 करोड रुपए तक का सफर तय किया है।
वह कहते हैं कितनी भी ऊंचाइयों पर पहुंच जाओ मगर अपनी जड़ को नहीं भूलना चाहिए। इसका ही जीता जागता उदाहरण है अनिल अग्रवाल, जो कि एक बहुत ही उम्दा कारोबारी और वेदांता ग्रुप के प्रमुख हैं। इतना पैसा इतनी शोहरत होने के बावजूद उन्होंने अपनी जड़ों को याद रखा और ट्विटर पर सभी लोगों के साथ अपनी एक कहानी भी शेयर की।
अनिल अग्रवाल ने अपने और अपने परिवार की संघर्ष भरी कहानी को बयां करते हुए लिखा कि ‘मां, मेरे बचपन को तुम्हारे बलिदान ने सींचा और मुझे मेरे सपने पूरे करने का मौका दिया। उस समय तुम्हें 4 बच्चों का पेट भरने के लिए महज 400 रुपये मिलते थे। लेकिन तुमने हमेशा ये सुनिश्चित किया कि हम सभी के पेट पूरी तरह भरे रहें। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मैं अब भी तुम्हारे साथ रहता हूं और तुम मुझे हर रोज प्रेरणा देती हो।'
अनिल अग्रवाल मात्र 19 वर्ष के थे जब उन्होंने पटना के बिहार से मुंबई आने का फैसला किया। मुंबई में आकर उन्होंने 8 बाय 9 का एक छोटा सा मकान लिया, जिससे उन्होंने अपने कबाड़ का बिजनेस चालू किया। बहुत संघर्ष करने के बाद उन्होंने इस कबाड़ के कारोबार को इतना ज्यादा बढ़ा लिया कि अब वह वेदांता कंपनी के प्रमुख हैं और इन दिनों उनके कंपनी की कीमत करोड़ों रुपए में नापी जाती है।
संघर्ष भरी जिंदगी व्यतीत करने की वजह से अनिल अग्रवाल ने अपने मां का बलिदान कभी भी भुलाया नहीं है तथा उनके संघर्ष को हमेशा सर्वोपरि मानते हैं। अनिल अग्रवाल ने अपने बचपन के दिनों में गरीबी देखी थी इस वजह से वह जानते थे कि गरीब की जिंदगी कैसी होती है। कोरोना के समय में जब पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी तब अनिल अग्रवाल ने पूरे 150 करोड रुपए का दान देकर बहुत सारे गरीब लोगों की मदद भी की थी।
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