सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों में तीनों सेनाओं के विमानों और हेलीकॉप्टरों की दुर्घटनाओं में 42 रक्षाकर्मी मारे गए। ये विवरण पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित 12 अन्य लोगों की पिछले साल 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मरने की पृष्ठभूमि में आया था।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक लिखित उत्तर में कहा कि पिछले पांच वर्षों में कुल हवाई दुर्घटनाओं की संख्या 45 थी, जिसमें भारतीय वायुसेना ने अधिकतम 29 की रिपोर्टिंग की। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में भारतीय सेना में हेलीकॉप्टर सहित विमानों से जुड़े दुर्घटनाओं की संख्या 12 थी, जबकि भारतीय नौसेना में यह चार थी। मंत्री ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने 34 लोगों को खो दिया, जबकि भारतीय सेना ने सात और भारतीय नौसेना ने एक जवान को खो दिया।
उन्होंने पिछले पांच वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों में विमान दुर्घटनाओं के एक प्रश्न के उत्तर में यह विवरण दिया। मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में हवाई दुर्घटनाओं में मारे गए रक्षा कर्मियों की संख्या अधिक थी क्योंकि आठ दिसंबर को भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर की दुर्घटना में सशस्त्र बलों के 13 जवान शहीद हो गए थे।
"पिछले पांच वर्षों के दौरान इस तरह की दुर्घटनाओं के दौरान मरने वाले रक्षा कर्मियों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष के दौरान, मरने वाले कर्मियों की संख्या अधिक है।"
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में हर दुर्घटना की जांच बोर्ड ऑफ इंक्वायरी या कोर्ट ऑफ इंक्वायरी द्वारा की जाती है। मंत्री ने कहा कि जांच का प्राथमिक उद्देश्य तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर कारणों का पता लगाना और इसी तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए तत्काल निवारक उपाय करना है।
उन्होंने कहा, "प्रत्येक बोर्ड ऑफ इंक्वायरी / कोर्ट ऑफ इंक्वायरी द्वारा दी गई सिफारिशों और उपचारात्मक उपायों का अक्षरश: पालन किया जाता है और उसको दोबारा होने से रोकने के लिए तुरंत लागू भी किया जाता है।"
मंत्री ने यह भी कहा कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय सेना द्वारा उड़ान सुरक्षा के बेहतर उपाय ढूंढे जा रहे हैं।
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