⚪जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय सेना एक नौकरी पाने का साधन नहीं है, सेना में शामिल होने के लिए व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए। मुश्किल से मुश्किल वक्त के लिए तैयार रहना पड़ता है जहां रास्ता ना हो वहां भी रास्ता बना लेने की काबिलियत होनी चाहिए। सेना को ज्वाइन करना हर एक के बस की बात नहीं, इसमें शामिल होने के लिए साहस की जरूरत होती है। जनरल बिपिन रावत ने कुछ साल पहले साफ-साफ शब्दों में कहा था और भारतीय सेना के आने वाली पीढ़ी को बताया था कि भारतीय सेना का दूसरा नाम शौर्य, पराक्रम और बलिदान है, उनके इस बात से हजारों युवाओं ने प्रेरणा ली और भारतीय सेना में शामिल हुए जनरल बिपिन रावत के शब्द लोगों में उत्साह पैदा करते थे। लोग उनको सुनना पसंद करते थे इसी वजह से उन्हें सुनने के लिए लोगों में चाहत थी और इसी वजह से 8 दिसंबर को वेलिंगटन में डिफेंस स्टाफ कॉलेज के छात्र सीडीएस जनरल बिपिन रावत का इंतजार कर रहे थे, कॉलेज के छात्र इस बात का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि कब जनरल बिपिन रावत कॉलेज परिसर में दाखिल होंगे और अपने चिर परिचित अंदाज में लेक्चर देंगे और उनका हौसला बढ़ाएंगे। लेकिन यह इंतजार मात्र इंतजार बन के रह गया क्योंकि उन तक जनरल बिपिन रावत नहीं बल्कि यह मनहूस खबर पहुंची की जनरल बिपिन रावत जिस हेलीकॉप्टर में सवार थे वह हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। जिस व्यक्ति के हाथ में देश की सेना की कमान हो उनके बारे में इस तरह की खबर सुनने को मिले तो लोगों का आहत होना लाजमी है।
⚪सीडीएस जनरल बिपिन रावत देश के सबसे महत्वपूर्ण हस्तियों में से एक थे जिस हेलीकॉप्टर में वह मौजूद थे उसमें उनकी पत्नी भी उनके साथ मौजूद थी। इसके अलावा 12 और लोग भी उस हेलीकॉप्टर में मौजूद थे जिनमें से 13 लोगों की मृत्यु की पुष्टि की जा चुकी है। जैसे ही यह खबर मीडिया चैनल पर दिखाई गई देश में मातम छा गया और लोग जनरल रावत की सलामती की दुआ मांगने लगे लेकिन शाम 6:00 बज कर 3 मिनट में इंडियन एयर फोर्स के एक ट्वीट ने लोगों की उम्मीदों को तोड़ दिया इस ट्वीट के जरिए इस बात की जानकारी दी गई की देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत समेत 12 और लोग अब हमारे बीच नहीं रहे।
जनरल बिपिन रावत का सफर 1958 से 2021 सेकंड लेफ्टिनेंट से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने तक का सफर:-
⚪16 मार्च 1958 को पौड़ी उत्तराखंड में जन्मे जनरल बिपिन रावत का सफर शिमला के स्कूल से होकर देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी तक पहुंचा जहां जनरल बिपिन रावत को शोर्ड ऑफ ऑनर सम्मान से सम्मानित किया गया यह सम्मान उस कैडेट को मिलता है जो अपनी ट्रेनिंग के समय सर्वोच्च स्थान पर रहता है और सर्वोच्च रहना ही जनरल बिपिन रावत की सही पहचान थी। उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी बेहतरीन से नीचे कुछ नहीं चुना इसलिए जनरल बिपिन रावत देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने भारतीय सेना में उनके पराक्रम के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल और उत्तम युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। उनके इस शौर्य को देखते हुए नेपाली सेना ने उन्हें ऑनरी G जनरल बना दिया और उनके रिटायरमेंट के 1 दिन पहले सरकार ने उनके सामने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने का प्रस्ताव रखा जो उन्होंने सहर्षपूर्ण स्वीकार कर लिया और रिटायर्ड होने के बावजूद उन्होंने अपना जीवन देश और सेना के नाम कर दिया।
⚪1958 से 2021 तक एक ऐसी शख्सियत जिसे देखकर लोग प्रेरणा लेते हैं जिसे देखकर लोगों का दिल खुश हो जाए, 63 साल की एक यादगार जिंदगी जो हर कोई देना चाहता है लेकिन हर किसी की किस्मत में भारत माता के काम आना नहीं होता है हर कोई चाह कर भी जनरल बिपिन रावत नहीं बन पाता है हमारी और हमारे देशवासियों के तरफ से सीडीएस General बिपिन रावत को उस हेलीकॉप्टर में सवार उनकी पत्नी और 12 जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को यह असहनीय दुख सहने की शक्ति दे।
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