दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी थी।
अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका देते हुए जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी बिना 'उचित कारणों' के नहीं की गई। जज ने कहा कि सीबीआई की कार्रवाई को अवैध नहीं कहा जा सकता। पीठ ने कहा, "यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी।"
हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने की छूट दे दी।
सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने पिछले महीने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने नियमित जमानत भी मांगी थी। उन्होंने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि यह अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के खिलाफ थी।
दिल्ली आबकारी नीति मामलों के संबंध में ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। बाद में कोर्ट ने उनकी जमानत के आदेश पर रोक लगा दी।
बाद की सुनवाई के दौरान, सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को घोटाले का सूत्रधार बताया। सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि जांच के दौरान एजेंसी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ और सबूत मिले हैं। इन्होने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल ने ही आबकारी नीति पर हस्ताक्षर किए थे। कैबिनेट प्रमुख ने इसे अपने सहयोगियों को भेजा और एक ही दिन में उनके हस्ताक्षर प्राप्त कर लिए। सीबीआई के वकील ने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया के अधीन आईएएस अधिकारी सी. अरविंद ने गवाही दी कि विजय नायर कंप्यूटर में दर्ज करने के लिए आबकारी नीति की एक प्रति लेकर आए थे और उस समय अरविंद केजरीवाल मौजूद थे। सीबीआई के अनुसार, यह तथ्य इस मामले में केजरीवाल की सीधी संलिप्तता को दर्शाता है।
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