दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के विधिक प्रकोष्ठ के प्रमुख संजीव नासियार को दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष पद से हटाने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के निर्देश पर रोक लगा दी। बार काउंसिल ने नासियार को देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय, इंदौर से प्राप्त उनकी विधि की डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल उठने पर हटाने का आदेश दिया था और इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की थी।
इससे पहले दिन में नासियार ने बीसीआई द्वारा उन्हें पद से हटाने के फैसले को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
बीसीआई ने दिल्ली बार काउंसिल के सचिव को नासिया की शैक्षणिक साख की सत्यता और संबंधित अभिलेखों के संभावित निर्माण की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का भी निर्देश दिया। बीसीआई ने एक बयान में कहा कि उप-समिति की जांच में संजीव नासियार की डिग्री से संबंधित अभिलेखों में “महत्वपूर्ण और स्पष्ट विसंगतियां” सामने आईं। बयान में कहा गया, “इंदौर के पी.एम.बी. गुजराती आर्ट्स एंड लॉ कॉलेज के निरीक्षण में पता चला कि कॉलेज को संबंधित अवधि के दौरान एल.एल.बी. (ऑनर्स) पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था।”
बीसीआई ने कहा, “उप-समिति को उपलब्ध कराए गए शैक्षणिक अभिलेखों में छेड़छाड़ की गई थी या एक समान लिखावट और स्याही की एकरूपता के साथ गढ़े गए थे।” इसके अतिरिक्त, यह स्थापित किया गया कि एल.एल.बी. (ऑनर्स) कार्यक्रम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत 2008 में ही शुरू किया गया था, जिससे कथित तौर पर 1988 में जारी की गई डिग्री नियामक आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थी।”
संजीव नासियार ने भाजपा पर उनके खिलाफ बीसीआई को हथियार बनाने का आरोप लगाया। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नासियार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके खिलाफ बीसीआई को हथियार बनाया है। उन्होंने दावा किया, "मैं किसी कार्रवाई या जांच से नहीं डरता। मैं सीबीआई या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा की जाने वाली किसी भी जांच का स्वागत करता हूं। मैं डरूंगा नहीं। मेरे हर दस्तावेज की पहले ही जांच हो चुकी है और उच्च न्यायालय ने इसे बरकरार रखा है।"
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