कोरोनावायरस के चलते सबसे अधिक चिंता बच्चों के भविष्य को लेकर होती है, कि कैसे बच्चों की शिक्षा को आगे बढ़ाया जाए। और ऐसा क्या किया जाए कि बच्चों के जीवन को वायरस के कारण कोई क्षति न पहुंचे और उनकी पढ़ाई को भी कोई नुकसान ना हो। यह एक चिंता का विषय है कि बच्चों को और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने का, और यह भी कि सरकार इस बारे में आखिरकार क्या योजनाएं बना रही है। कोरोना के नए रूप ओमिक्रोन के आने के बाद हर कोई चिंतित हो रहा है वहीं भारत में भी धीरे-धीरे इसके केस बढ़ते जा रहे हैं जिसके चलते सरकार हमें सावधान कर रही है। वहीं स्कूली शिक्षा को लेकर सरकार ने कुछ फैसले लिए हैं।
राजधानी दिल्ली की सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर विद्यालयी छात्रों की चिंता की है। कुछ दिनों पहले दिल्ली के विद्यालय खोले तो गए थे लेकिन प्रदूषण के कारण चार दिन बाद फिर बंद करना पड़ा।दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की, कि शहर के सभी स्कूल 3 दिसंबर से बंद कर दिए जाएंगे और अगली सूचना तक बंद रहेंगे।
मध्य्प्रदेश सरकार ने भी स्कूल लगाने के कुछ नए नियम लागू कर रही है केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड ने फैसला लिया है कि वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बच्चों की कक्षाएं लगवायेगी। ऑनलाइन कक्षाएं 3 दिनों के लिए होंगी वहीं ऑफलाइन कक्षाएं भी 3 दिनों के लिए संचालित की जाएंगी। ऑफलाइन कक्षाओं का मतलब होगा कि बच्चे विद्यालय में उपस्थित होकर पढ़ाई करेंगे, और ऐसे विद्यार्थी अपने अभिभावक से सहमति पत्र लेने के बाद ही विद्यालय में उपस्थित हो सकेंगे।
एसोसिएशन ऑफ यूनाइडेड प्राइवेट स्कूल्स के उपाध्यक्ष विराज मोदी का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा भी जरूरी है इसलिए भोपाल सहित पूरे मध्यप्रदेश की निजी विद्यालयों ने फैसला लिया है कि वह तीन दिन ऑनलाइन व तीन दिन ऑफलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे।
इससे पहले मध्य प्रदेश के विद्यालय कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक 100% छात्रों की संख्या के साथ खोले गए थे लेकिन अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फैसला लिया है कि 29 नवंबर से 50% विद्यार्थियों की संख्या के साथ ही स्कूल चलाए जायेंगे।
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