भारत की स्वदेशी वैक्सीन covaxin जिसका प्रोडक्शन हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक कर रही है, उसे जल्द ही डब्ल्यूएचओ द्वारा अप्रूवल मिल सकता है। डब्ल्यूएचओ के चीफ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा की डब्ल्यूएचओ में कोवैक्सीन की समीक्षा का अंतिम दौर चल रहा है।
भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा मिलकर बनाई गई इस वैक्सीन को फेस 3 क्लीनिकल ट्रायल के बाद कहा गया कि यह टीका कोरोना का इन्फेक्शन रोकने में 78 प्रतिशत तक इफेक्टिव है। पहले कोवैक्सीन को केवल 13 देशों के लिए मंजूरी मिली थी।
डब्ल्यूएचओ का अप्रूवल ना मिलने के कारण कोवैक्सीन लगवाने वाले लोग विदेश यात्रा नहीं कर पा रहे थे लेकिन मंजूरी मिलने के बाद कोवैक्सीन लगवाने वालों का वैक्सीन पासपोर्ट भी बन पाएगा। और कंपनी वैक्सीन को दुनिया भर के देशों में निर्यात भी कर पाएगी।
खुशी की बात यह है कि जिन लोगों को ट्रायल में कोवैक्सीन लगाई गई थी। उनमें कोरोना का असर काफी कम हुआ। इसके अलावा कोवैक्सीन सभी वैरिएंट पर असरदार हैं, यानी यह टीका न ही केवल डेल्टा और बाकी देशों के वैरिएंट पर बल्कि भारत के ही सभी राज्यों में आए डबल म्यूटेंट वैरीऐंट पर अच्छा असर दिखाया है। जिन्होंने कोवैक्सीन लगवाया था उनमें कोरोना के गंभीर लक्षण कम दिखाई दिए।
फ़िलहाल इससे जुड़े सारे डाटा कंपनी ने डब्ल्यूएचओ को भेज दिये हैं। अब केवल अप्रूवल आना बाकी है।
भारत में अब तक 75 करोड़ टीके लगाये जा चुके है। इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया ने ट्विटर पर दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत में तेजी से चल रहे कोविड के टीके अभियान और 75 करोड़ के पार टीके लगने पर भारत सरकार को बधाई दी।
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