देश में सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा की है। राजपक्षे ने शुक्रवार को एक विशेष गजट अधिसूचना जारी की, जिसमें 1 अप्रैल से श्रीलंका में सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा की गई।
यह कदम गुरुवार को राजपक्षे के आवास के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद आया, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी वहां जमा हो गए और द्वीप राष्ट्र में सबसे खराब आर्थिक संकट को संबोधित करने में उनकी विफलता के लिए उनके इस्तीफे की मांग की। आंदोलन के हिंसक होने से कई लोग घायल हो गए और वाहनों में आग लगा दी गई। राष्ट्रपति के आवास के पास लगे स्टील बैरिकेड को गिराने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं। घटना के बाद, कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और कोलंबो शहर के अधिकांश हिस्सों में कुछ समय के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया।
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन और रसोई गैस जैसे आवश्यक सामानों की कमी हो गई है तथा बिजली कटौती हो रही है जो दिन में 13 घंटे तक चलती है।
राष्ट्रपति के मीडिया विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि मिरिहाना में राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के पास अशांति के पीछे एक चरमपंथी समूह का हाथ है। इस बीच, पुलिस ने कहा कि हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। विपक्षी दलों से जुड़े वकीलों ने दावा किया कि पुलिस गिरफ्तार किए गए लोगों पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पीटीए) के तहत आरोप लगा सकती है।
प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने से पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि एक पुलिस बस, एक जीप और दो मोटरसाइकिलों को जला दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाटर कैनन ट्रक को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
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